वर्षों बाद पूरा हुआ हमारा अरमान।
लाखों दुआ और मन्नत हुई आज है क़बूल,
तुम लोग भी मुँह मीठा करना न जाना भूल।
घर वालों की तपस्या, या माँ-बाप का संघर्ष,
जो कई दशक से जारी था, सफल हुआ इस वर्ष।
माँ तो अब भी दर्द में होगी, फिर भी चेहरे पर अजीब सुकून है।
बाप का सीना चौड़ा होगा, क्योंकि यह वंश इन्हीं का तो अंश है।
दादी की ख़ुशी का तो ठिकाना ही नहीं है,
दादा के चेहरे की चमक, बताने का जरूरत भी नहीं है।
चाचा-चाची की गोद में ये करेगा मस्ती,
बड़े भाई का बेटा है, ये प्यारी हस्ती।
बुआ शान से कहेगी, "ये मेरा बेटा है",
उन्हें नाज़ है कि घर में आज चिराग जला है।
मामा-मामी हों या फिर नाना-नानी,
सुनाएँगे इसे वो अपनी चटपटी कहानी।
आज उम्मीदों का दीपक जलेगा,
मेरा बेटा मेरे घर का नाम रोशन करेगा।
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