Wednesday, November 6, 2024

छोड़ो ये नादानियां


कभी पूछो जरा उनसे,

जिन्हे तुम जबरदस्ती रंग लगाते हो।

उन्हें बेशक पसंद होगा होली,

पर तुम उनको त्योहारो से नफ़रत करवाते हो।

 

बुरा ना मानो होली है कह कर,

त्योहार का गलत फायदा उठाते हो।

जिन्हे पसंद भी ना हो रंग खेलना

उन्हें भी जहां मन वहा स्पर्श करते हो।

 

यार छोड़ो ये नादानियां,

लगाओ गुलाल पर ना चलाओ अपनी मनमानियां।

खेलो होली, ना करो किसी पर अत्याचार।

सब मिलकर मनाओ ये होली का त्योहार।

 

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पंक्तियां


कभी पूछो जरा लेखकों से,

उनके जीवन में ये कितना महत्व रखता है।

वो खाना घूमना सब भूल सकते है,

पर कविता लिखे बिना उन्हें सुकून नहीं मिलता है।

 

एक कवि का प्यास उनके कविता से मिटता है,

बिना लिखे उनका दिन अधूरा सा बीतता है।

ये एक बेहतरीन जरिया माना जाता है,

कई सामाजिक संदेश इस माध्यम से पहुंचाया जाता है।

 

कुछ पंक्तियों में ही सारी कहानी बयां होती है,

जो बता ना सके वो एहसास लिखी जाती है।

ये कविताओं की ही तो विशेषता है,

जो नहीं भी पढ़ता हो, उसके मन को भी भा जाती है।


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गुमान


सब मुझपर करते है गुमान,

दिल से करता हूँ मैं उनका सम्मान।

भरोसा रखते है जो मुझपर,

तोडूंगा ना उसको, होगा सबका कल्याण।

 

बहुत लोग तो भटक जाते है,

इतने नाम सम्मान पाने से।

मैं तो स्थिर हूँ अपने निर्णय पर,

कोई रोक ना सकता मुझे मुकाम पाने से।

 

क्यों ना हो मुझे खुद पर गुमान,

जब मैं रखता हूँ सबका मान।

परिस्थिती चाहे हो कैसी भी,

सबसे पहले आएगा दूसरों का आत्म सम्मान।

 

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