Monday, May 26, 2025

शादी


साथ फेरे लेने को हैं तैयार,

दोनों मिल बन जाएँगे एक परिवार।

जिम्मेदारी नई, साझेदारी नई,

अब इन्हें शायद याद न आएँ हम यार।


यौवन में एक हुए,

बुढ़ापे तक साथ निभाने के लिए।

एक से बढ़कर दो हुए,

जीवन रूपी गाड़ी को चलाने के लिए।


एक के लिए हैं नए लोग,

दूजे के लिए नई जिम्मेदारी।

कुछ सालों में दो से चार होने की,

अब कर लो तैयारी।


बीतेंगे कई महीने, साल,

आएँगी बाधाएँ हज़ार।

हर परिस्थिति में साथ देने को,

दोनों को रहना होगा होशियार।


लड़ना पर अपनी बात रखना,

अनबन में भी ख्याल रखना।

बात करो या न करो,

एक दूजे के लिए प्यार रखना।


घोड़ी चढ़, बारात लाए हो,

डोली छोड़, अब वो कार से जाएगी।

माँ-बाप, भाई-बहन, सगे-संबंधी,

सब छोड़, तेरा घर बसाएगी।


अकेला महसूस होने न देना इसे,

वो वहाँ सिर्फ तेरे भरोसे ही रहेगी।

सास-ससुर, ननद-देवर से,

जब तक न अपनों जैसी दोस्ती करेगी।


ख्याल रखना तुम इसका,

इनके माँ-बाप का न दिल दुखाना।

यदि कभी हो जाए उनसे कोई गलती भी तो,

अपने माँ-बाप समझ खुद को समझाना।


सासू माँ बेटी समझ, डाँटेंगी किंतु,

दुनियादारी का पाठ भी पढ़ाएँगी।

सास-ससुर बन रौब दिखाएँगे किंतु,

वक्त आने पर तुम्हें वो प्यार भी जताएँगे।


ननद बन वो अपना काम करवाएगी,

कभी दोस्त बन दुख-सुख बाँटेगी।

भाभी को अपने पक्ष में कर,

भैया से अपना काम भी निकलवाएगी।


रहे क्यों न, यह सबके सामने सख्त,

पर तुम्हारे सामने ज़रूर पिघलेगा।

पहले जो किसी से कुछ कहता न था,

अब वो अपनी बात रख, दुख-सुख बाँटेगा।


हम सब मना रहे हैं खुशियाँ,

मुँह मीठा कर, दे रहे हैं बधाइयाँ।

दुआ है ऊपर वाले से,

दोनों के बीच आए न कभी दूरियाँ।


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Saturday, May 17, 2025

पहचान



तनाव भरे लम्हों को भुला देना,

आसान होता है क्या भीड़ में अपनी पहचान बनाना?


कड़ी धूप में तपना पड़ता है,

अंदर ही अंदर घुटना पड़ता है।


अपनो से लड़ना पड़ता है,

खुद से खुद को हरा कर जीतना पड़ता है।


मां बाप के आगे बोलना पड़ता है,

अपने घर को मुश्किलों में छोड़ना पड़ता है।


रात दिन सुबह शाम,

अपने लिए अलग राह पर चलना पड़ता है।


सबसे छुपा कर,

अपने सपने पर काम करना पड़ता है।


लोग क्या कहेंगे छोड़ कर,

अपने दिल की बात को लोगो को सुनाना पड़ता है।


चार लोगों की बात का,

अपने सपनो की उड़ान से जवाब देना पड़ता है।


सपनो की राह पर अकेले चल,

बाद में सबके साथ फ़ोटो खिंचवाना पड़ता है।


अपनो की उम्मीद को तोड़े बिना,

अपनी उड़ान भरना पड़ता है।


अपनो का साथ पाने के लिए,

पहले उनके सामने भी कुछ कर दिखाना पड़ता है।


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Thursday, April 3, 2025

पाउडर



मेरे शहर के नौजवान,

नहीं होना चाहता अपने पैरो पर खड़ा।

लड़की, दारू, जैसी लत छोड़,

मैदा जैसे पाउडर के पीछे है पड़ा।


सब चिंता से मुक्त ये,

बस इन्हें पाउडर की जुगार करा दे।

किसी दिन ना मिले तो, 

उसकी तलब इसे जीने ना दे।


चखते तो है घरवालों से छुप कर,

किंतु इसका असर मां बाप से कैसे छुपाता होगा?

क्या इसकी लत लगने के बाद भी,

इनके घरवालों को पता नहीं चलता होगा?


प्यार और एसो आराम का नतीजा है,

या फिर इसका डिप्रेशन जैसा कुछ वजह है।

खुद को मौत के मुंह में ले जाना,

या फिर दोस्ती निभाने की यह सजा है।


समस्या का समाधान नहीं ढूंढते है,

कठिनाइयों का सामना करने से डरते है।

जिस वक्त भविष्य को संवारना चाहिए,

उस वक्त पाउडर का स्वाद चखते है।


माना की प्यार का नशा भी हानिकारक है,

किंतु इसमें तुम्हें कोई और भी संवारेगा।

अच्छा बुरा का फर्क के साथ साथ

यार दोस्तों के बहकावे में जाने से रौकेगा।


देखने से तो ये बस मैदा जैसा पाउडर है,

बड़े शहर की बड़ी बात वाली इससे लगती आदत है।

शौकिया दिखावे के लिए कर रहे हो तो जान लो,

इसी पर सब कुछ बरवाद करने वाली कहावत है।


तुम युवा हो, तुम पर ज़िम्मेदारियां आएगी,

अपने नाजुक कंधो को मजबूत बनाओ।

ना की अपने पाउडर की लत से,

भरी जवानी में ही अपने आप को गिराओ।


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Tuesday, April 1, 2025

जिंदगी के सफर


जिंदगी के सफर में,

साथ चलना तुम।

एक साल या कुछ साल नहीं,

अंतिम सांस तक साथ देना तुम।


सफर में आनंद आ जाएगा,

बस तुम हाथ थामे रखना।

देख लेंगे अच्छा बुरा सब,

तुम बस मेरे रीड की हड्डी बनना।


कदम से कदम चलना,

मैं गिर जाऊं तो संभालना।

कहीं हो जाऊं खफा तो,

प्यार से मना भी लेना।


ज्यादा सोचो मत,

मैं भी तुम्हें नहीं छोडूंगा।

जो चाह रख रहा हूं तुमसे,

मैं भी आजीवन तेरे साथ रहूंगा।


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Tuesday, March 25, 2025

भूल जाऊं ?



प्यार करता था तुझे मैं,

शायद समय पर जता ना सका।

मोहब्बत समझने में भले ही देर हो गया,

किंतु दोस्ती निभाने में कभी चूक नहीं किया।


काश तुम समझ पाती

मेरे अनकहे भावनाओ को।

अपनी एहसास को छुपाने के वजाय,

बयान करती बिन घबराए।


कुछ वक्त और

अपने इश्क को बरकरार रखती।

आज हम दो नहीं एक होते,

अगर तुम थोड़ा और सब्र रखती।


कैसे मैं भूल जाऊं,

उस पल के हसीन यादों को।

जिस पल ने मुझे जीना सिखाया,

खुद से ज्यादा तुम्हें अपना बताया।


माना की समय के साथ सब भूल जाते है,

बिछड़े हुए यादों को।

कोई मुझे बता दे,

कैसे मैं भूल पाऊं तेरे एहसासों को।

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पहली मिलन



मिलन की वो पहली नज़र,

शरमाई सी खड़ी वो लड़की।


ताक झाक वाली मेरी आँखें,

निहारने को उनको थी तरसी।


सबके सामने इधर उधर से,

मैं तो देखा उन्हें चोर नजर से।


नज़र चार होने से कतरा गई,

सबके सामने वो मुझसे ही शरमा गई।


परिवार के लिए भी थी वो अति प्रिय,

बनाना था उन्हें अपने घर की ऐश्वर्य।


उन्हें डर था कहीं वो अपने को खो न दे,

मैं तैयार था, उन्हें अपना सब कुछ देने।


अकेले मिलने की बारी जब आई,

पहले आप पहले आप कर वो लड़खड़ाई।


मैं अपना बताया वो बस सुनते रही,

पलके झुकाई, वो बस हां, हूं करते रही।


घबराए सी उन्हें लगा, एक अंजान के साथ है।

पहले सहज किया, फिर लगा वो मेरे साथ है।


उसने मुझे देखा या नहीं,

किंतु उन्हें लग गया, मैं ही हूं उनके लिए सही।

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Sunday, March 23, 2025

जिंदगी के हसीन पन्ने


प्यार हो जाने के डर से,

मैं पीछे हो गया।

अपनी अच्छी खासी दोस्ती से,

दूरियां बना लिया।


साथ निभा ना पाया तो,

तुमने मुझे ही गलत समझ लिया।

मेरे बातों को तुमने ही,

अलग मतलब निकाल, आगे चल दिया।


कैसे मिटाऊं तेरे कदमों के निसान,

जो मेरे जिंदगी के हसीन पन्ने में है।

लोग कहते है भूल जाओ आगे बढ़ो,

पर मजा भी तो, तुझे याद कर तड़पने में है।

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Sunday, March 9, 2025

यादें



तन्हा रातें,

तेरे साथ वो हसीन मुलाकाते।

अक्सर बेकाबू कर देती है,

तेरे गैरहाजरी में मेरी जाज़बाते।


सिर्फ याद ही नहीं,

तेरी एहसास भी आ जाती है।

मुझे तड़पा कर,

सारी रात बेचैन कर जाती है।


खुशबू वो तेरे बदन का,

तेरे चले जाने के बाद तड़पाती है।

तेरी वो नटखट हरकते,

मेरे सामने बार बार नजर आती है।


बंद कमरे में तारे नहीं,

तेरा ही चेहरा का दीदार होता है।

मैं लाख चाहूं याद न करूं तुझे,

किंतु यह दिल को कहां समझ आता है।

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Friday, March 7, 2025

आवाज़


मेरी आवाज़ है,

मैं जरूर बुलूंगी।

चिल्ला कर नहीं कह सकती,

तो क्या? मैं चुप ही रहूंगी?


आपस में कहूं,

तो तुम्हें चुगलिया लगती है।

सबके सामने कहूं तो,

हमारी परवरिश बुरी लगती है।


तुम चाहे कितना भी चिल्ला कर बोलो,

हमारी फुसफुसाहट भी तुम्हें खटकती है।

तुम चाहते हो हमे अपने इशारों में रखना,

इसलिए तुम्हें हमारी बात चुभती है।


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Wednesday, February 26, 2025

भोले बाबा


एक तन रूप अनेक,

आप ही सृष्टि चलाने वाले हो।

जटाधारी, बेल की सवारी,

सारे जग को जगाने वाले हो।


कंठ पर विष रखे,

संसार का पाप पीने वाले हो।

गंगा शीश पर लिए,

गले पर नाग को जगह देने वाले हो।


अपने मान सम्मान के प्रिय,

ससुराल को भी त्यागने वाले हो।

सती की चाहत में,

वर्षों तक इंतज़ार में गुजारने वाले हो।


तपस्या का फल देने को तत्पर,

देव, दैत्य में न फर्क करने वाले हो।

एक लौटा जल में प्रसन्न हो जाए,

महादेव, आप कितने भोले भाले हो।


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Sunday, January 26, 2025

राष्ट्र

 

वर्षों लग गई, हमे अंग्रेजो को भगाने में,
फिर भी आज हम विदेशी के गुलाम है।
पहले हम शारीरिक तौर पर,
अब मानसिक तौर पर, उनके नाम है।

देश के योद्धा जान की बाजी लगाते है,
और हम दुश्मनों को आर्थिक मदद कर रहे है।
जिस गोली से हमारे जवान छल्ली हो रहे है,
उस गोली को बनाने में, हम सहयोग दे रहे है।

हम अपनों के मेहनत का कभी कद्र नहीं करते,
पर गैरों के वस्तुओं को बढ़ावा दिया करते है।
हमारे अपने तो, हमेशा हमारे साथ ही रहते है,
पर वो तो चार दिनों में ठग कर, चल दिया करते है।

सिर्फ सीमाओं पर नहीं, हम घर से वार करेंगे,
देशी पदार्थो का हम, गर्व से इस्तेमाल करेंगे।
चलिए हम आज प्रण लेते है,
अपनों को सहयोग और दुश्मनों को ख़ाक करेंगे।

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Friday, January 10, 2025

हार गया


हां मैं हार गया,
दूसरों को समझाते समझाते,
खुद को नजरअंदाज करते करते
मैं थक गया औरों की जिंदगी जीते जीते।

करूं कुछ अपने मन का,
तो सब नाराज़ हो जाता है।
बात मानू सबका तो,
स्वयं का अस्तित्व नहीं दिखता है।

अपना बात रखूं तो,
कोई उसे अहमियत नहीं देता है।
किसी की एक ना सुनूं तो,
मुझे तुरंत बुरा बनाया जाता है।

कैसे और किससे करूं,
अपने दिल का हाल बयां।
जिसे समझना था मुझे,
वो भी पूरी तरह मेरा हो ना पाया।

अपनी बात अपनो को ही
समझा नहीं पाता हूं।
किसी ओर की क्या बात करूं
खुद से खुद को विश्वास नहीं दिला पाता हूं।

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Wednesday, November 6, 2024

छोड़ो ये नादानियां


कभी पूछो जरा उनसे,

जिन्हे तुम जबरदस्ती रंग लगाते हो।

उन्हें बेशक पसंद होगा होली,

पर तुम उनको त्योहारो से नफ़रत करवाते हो।

 

बुरा ना मानो होली है कह कर,

त्योहार का गलत फायदा उठाते हो।

जिन्हे पसंद भी ना हो रंग खेलना

उन्हें भी जहां मन वहा स्पर्श करते हो।

 

यार छोड़ो ये नादानियां,

लगाओ गुलाल पर ना चलाओ अपनी मनमानियां।

खेलो होली, ना करो किसी पर अत्याचार।

सब मिलकर मनाओ ये होली का त्योहार।

 

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