Tuesday, April 1, 2025

जिंदगी के सफर


जिंदगी के सफर में,

साथ चलना तुम।

एक साल या कुछ साल नहीं,

अंतिम सांस तक साथ देना तुम।


सफर में आनंद आ जाएगा,

बस तुम हाथ थामे रखना।

देख लेंगे अच्छा बुरा सब,

तुम बस मेरे रीड की हड्डी बनना।


कदम से कदम चलना,

मैं गिर जाऊं तो संभालना।

कहीं हो जाऊं खफा तो,

प्यार से मना भी लेना।


ज्यादा सोचो मत,

मैं भी तुम्हें नहीं छोडूंगा।

जो चाह रख रहा हूं तुमसे,

मैं भी आजीवन तेरे साथ रहूंगा।


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Tuesday, March 25, 2025

भूल जाऊं ?



प्यार करता था तुझे मैं,

शायद समय पर जता ना सका।

मोहब्बत समझने में भले ही देर हो गया,

किंतु दोस्ती निभाने में कभी चूक नहीं किया।


काश तुम समझ पाती

मेरे अनकहे भावनाओ को।

अपनी एहसास को छुपाने के वजाय,

बयान करती बिन घबराए।


कुछ वक्त और

अपने इश्क को बरकरार रखती।

आज हम दो नहीं एक होते,

अगर तुम थोड़ा और सब्र रखती।


कैसे मैं भूल जाऊं,

उस पल के हसीन यादों को।

जिस पल ने मुझे जीना सिखाया,

खुद से ज्यादा तुम्हें अपना बताया।


माना की समय के साथ सब भूल जाते है,

बिछड़े हुए यादों को।

कोई मुझे बता दे,

कैसे मैं भूल पाऊं तेरे एहसासों को।

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पहली मिलन



मिलन की वो पहली नज़र,

शरमाई सी खड़ी वो लड़की।


ताक झाक वाली मेरी आँखें,

निहारने को उनको थी तरसी।


सबके सामने इधर उधर से,

मैं तो देखा उन्हें चोर नजर से।


नज़र चार होने से कतरा गई,

सबके सामने वो मुझसे ही शरमा गई।


परिवार के लिए भी थी वो अति प्रिय,

बनाना था उन्हें अपने घर की ऐश्वर्य।


उन्हें डर था कहीं वो अपने को खो न दे,

मैं तैयार था, उन्हें अपना सब कुछ देने।


अकेले मिलने की बारी जब आई,

पहले आप पहले आप कर वो लड़खड़ाई।


मैं अपना बताया वो बस सुनते रही,

पलके झुकाई, वो बस हां, हूं करते रही।


घबराए सी उन्हें लगा, एक अंजान के साथ है।

पहले सहज किया, फिर लगा वो मेरे साथ है।


उसने मुझे देखा या नहीं,

किंतु उन्हें लग गया, मैं ही हूं उनके लिए सही।

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Sunday, March 23, 2025

जिंदगी के हसीन पन्ने


प्यार हो जाने के डर से,

मैं पीछे हो गया।

अपनी अच्छी खासी दोस्ती से,

दूरियां बना लिया।


साथ निभा ना पाया तो,

तुमने मुझे ही गलत समझ लिया।

मेरे बातों को तुमने ही,

अलग मतलब निकाल, आगे चल दिया।


कैसे मिटाऊं तेरे कदमों के निसान,

जो मेरे जिंदगी के हसीन पन्ने में है।

लोग कहते है भूल जाओ आगे बढ़ो,

पर मजा भी तो, तुझे याद कर तड़पने में है।

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Sunday, March 9, 2025

यादें



तन्हा रातें,

तेरे साथ वो हसीन मुलाकाते।

अक्सर बेकाबू कर देती है,

तेरे गैरहाजरी में मेरी जाज़बाते।


सिर्फ याद ही नहीं,

तेरी एहसास भी आ जाती है।

मुझे तड़पा कर,

सारी रात बेचैन कर जाती है।


खुशबू वो तेरे बदन का,

तेरे चले जाने के बाद तड़पाती है।

तेरी वो नटखट हरकते,

मेरे सामने बार बार नजर आती है।


बंद कमरे में तारे नहीं,

तेरा ही चेहरा का दीदार होता है।

मैं लाख चाहूं याद न करूं तुझे,

किंतु यह दिल को कहां समझ आता है।

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Friday, March 7, 2025

आवाज़


मेरी आवाज़ है,

मैं जरूर बुलूंगी।

चिल्ला कर नहीं कह सकती,

तो क्या? मैं चुप ही रहूंगी?


आपस में कहूं,

तो तुम्हें चुगलिया लगती है।

सबके सामने कहूं तो,

हमारी परवरिश बुरी लगती है।


तुम चाहे कितना भी चिल्ला कर बोलो,

हमारी फुसफुसाहट भी तुम्हें खटकती है।

तुम चाहते हो हमे अपने इशारों में रखना,

इसलिए तुम्हें हमारी बात चुभती है।


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Wednesday, February 26, 2025

भोले बाबा


एक तन रूप अनेक,

आप ही सृष्टि चलाने वाले हो।

जटाधारी, बेल की सवारी,

सारे जग को जगाने वाले हो।


कंठ पर विष रखे,

संसार का पाप पीने वाले हो।

गंगा शीश पर लिए,

गले पर नाग को जगह देने वाले हो।


अपने मान सम्मान के प्रिय,

ससुराल को भी त्यागने वाले हो।

सती की चाहत में,

वर्षों तक इंतज़ार में गुजारने वाले हो।


तपस्या का फल देने को तत्पर,

देव, दैत्य में न फर्क करने वाले हो।

एक लौटा जल में प्रसन्न हो जाए,

महादेव, आप कितने भोले भाले हो।


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Sunday, January 26, 2025

राष्ट्र

 

वर्षों लग गई, हमे अंग्रेजो को भगाने में,
फिर भी आज हम विदेशी के गुलाम है।
पहले हम शारीरिक तौर पर,
अब मानसिक तौर पर, उनके नाम है।

देश के योद्धा जान की बाजी लगाते है,
और हम दुश्मनों को आर्थिक मदद कर रहे है।
जिस गोली से हमारे जवान छल्ली हो रहे है,
उस गोली को बनाने में, हम सहयोग दे रहे है।

हम अपनों के मेहनत का कभी कद्र नहीं करते,
पर गैरों के वस्तुओं को बढ़ावा दिया करते है।
हमारे अपने तो, हमेशा हमारे साथ ही रहते है,
पर वो तो चार दिनों में ठग कर, चल दिया करते है।

सिर्फ सीमाओं पर नहीं, हम घर से वार करेंगे,
देशी पदार्थो का हम, गर्व से इस्तेमाल करेंगे।
चलिए हम आज प्रण लेते है,
अपनों को सहयोग और दुश्मनों को ख़ाक करेंगे।

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Friday, January 10, 2025

हार गया


हां मैं हार गया,
दूसरों को समझाते समझाते,
खुद को नजरअंदाज करते करते
मैं थक गया औरों की जिंदगी जीते जीते।

करूं कुछ अपने मन का,
तो सब नाराज़ हो जाता है।
बात मानू सबका तो,
स्वयं का अस्तित्व नहीं दिखता है।

अपना बात रखूं तो,
कोई उसे अहमियत नहीं देता है।
किसी की एक ना सुनूं तो,
मुझे तुरंत बुरा बनाया जाता है।

कैसे और किससे करूं,
अपने दिल का हाल बयां।
जिसे समझना था मुझे,
वो भी पूरी तरह मेरा हो ना पाया।

अपनी बात अपनो को ही
समझा नहीं पाता हूं।
किसी ओर की क्या बात करूं
खुद से खुद को विश्वास नहीं दिला पाता हूं।

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Wednesday, November 6, 2024

छोड़ो ये नादानियां


कभी पूछो जरा उनसे,

जिन्हे तुम जबरदस्ती रंग लगाते हो।

उन्हें बेशक पसंद होगा होली,

पर तुम उनको त्योहारो से नफ़रत करवाते हो।

 

बुरा ना मानो होली है कह कर,

त्योहार का गलत फायदा उठाते हो।

जिन्हे पसंद भी ना हो रंग खेलना

उन्हें भी जहां मन वहा स्पर्श करते हो।

 

यार छोड़ो ये नादानियां,

लगाओ गुलाल पर ना चलाओ अपनी मनमानियां।

खेलो होली, ना करो किसी पर अत्याचार।

सब मिलकर मनाओ ये होली का त्योहार।

 

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