मौसम सुहाना हो गया है, बारिश की बूदें हृदय को छुए जा रही है। धरती
मां भी अपनी खुशी जता रही है। पेड़ - पौधे
भी खुशी से झूम उठे है। ऐसा लगता है लॉकडॉउन का आनंद प्रकृति भी उठा रही
है।
याद है आपको आपने कब ऐसा मनमोहक वातावरण देखा होगा, ना जाने कितने वर्ष बीत
गए होंगे। अब जरा सोचिए इसका मूल कारण, ऐसा वातावरण अचानक कैसे हो गया? कल तक जो धूल मिट्टी से
घिरा रहता था आज इतना साफ-सुथरा कैसे हो गया? फूल-बगीचा जो मुरझा-सा
गया था आज कैसे वो खिल खिला उठा ? जिन हवाओं में सांस लेना भी मुश्किल हो गया था, आज इतना आनंदमय कैसे हो
गया ? नदी-समंदर जो बहुत ही
विषैली हो गई थी आज वो फिर से अमृत कैसे हो गई? सुबह - शाम आज फिर से मन को लुभाने कैसे लग गया? सोचिए आपके इतने दिनों घर
में रहने से आपका थोड़ा नुकसान और इनका कितना फायदा हुआ है। हमे प्रकृति इतनी सुविधायें
देती है पर हम मनुष्य उनका सम्मान नहीं कर सकते है। हम खुद इतना भाग-दौड़ करते है
और इनका खामियाजा पर्यावरण को भुगतना पड़ता है।
कहते है हर कठिन परिस्थितियों से इंसान कुछ सीख ले पाता है।
चलिए इन परिस्थितियों ने भी हमे बता दिया कि हमारे जीवन को सुखमय बनाने वाले, कितने कठिनाईयों से अपना
जीवन बिता रहे है। पेड़-पौधे को खिलखिलाता देख हमारे चेहरों पर भी तो हंसी आती है।
ऐसा वातावरण बना रहेगा तो हमे बाहर घूमने में कितना आनंद आएगा। अगर हम इनका आज
ध्यान रखेंगे तो ये हमारे कल को और भी बेहतरीन बना देगा।
लोकडाउन के दिनों हम घर में है तो इन्हें शांति से अपने
जीवन बिताने का मौका मिला, और ये फिर से सुहाना हो गया। तो क्यों ना हम इनके लिए हर
महीने कुछ दिन घर में बिताए और इस भाग दौड़ भरे जीवन से थोड़ा सुकून पाए। इससे हम
भी अपने परिवार को समय दे पाएंगे और प्रकृति भी हमारे लिए ओर फलदायक हो जाएगी।
-सनोज कुमार द्वारा लिखित