आज भी याद है मुझे
कैसे उस मासूम ने मेरी उंगली पकड़ी थी।
मेरी इतनी बड़ी उंगली को
अपनी नन्ही सी मुट्ठी में समा ली थी।
उस दिन मुझे एहसास हुआ
मैं कहीं खो गया हूं।
बच्ची को देखते ही
उसके साथ मैं भी बच्चा हो गया हूं।
कितना खुशनुमा था वो पल
लगा मै कितना भाग्शाली हो गया।
एक बच्ची के आने से
मैं तो पुरी दुनिया ही भूल गया।
उस दिन लगा शायद
मैं भी बाप बन गया।
बेटी तो है वो भाई की
पर मैं भी जिम्मेदार बन गया।
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