Saturday, July 4, 2020

नारीवाद अच्छा है या बुरा



इन दिनों आप लोग ने कहीं ना कहीं जरूर सुना होगा नारीवाद का नारा लगते हुए, तो चलिए आज में आपको इससे रूबरू करवाता हूं।

नारीवाद, ऐसा सिद्घांत कि स्‍त्रियों को पुरुषों के समान अधिकार और अवसर प्राप्‍त होने चाहिए। ये तो बहुत अच्छी बात है, हमारे घर की बहन बेटी भी अब हम पुरुषों के साथ कंधा से कंधा मिला के चल सकेगी। जो काम सिर्फ मर्द ही करते थे आज उसे करने का स्त्रियों को भी समान आधिकार दिया जा रहा है। इसमें तो किसी को कोई दिक्कत नहीं होनी चहिए पर आज हमारे समाज में इस सिद्धांत को लेकर कई परेशानियां हो रही है। आखिर क्यों, क्यों इतने बढ़िया सिद्धांत के कारण लोगो को कठिनाइयां हो रही है। तो मैं आपको बता दूं इसकी वजह हम खुद है। कुछ मर्द आज भी ऐसे है जो अपनी बीबी बच्चों को इस समाज में आगे बढ़ने नहीं देना चाहते। इसका दो कारण हो सकता है, पहला ये कि उन मर्दों को इस सिद्धांत के बारे में सही जानकारी नहीं होगी और दूसरा कि कई लोग आज भी अपने पुराने परम्परा को लेकर चल रहे है। ना वो खुद आगे बढ़ते है ना ही अपने परिवार को आगे बढ़ने देते है। इसके खिलाफ आवाज उठाई जाती है तो आप इसे नारीवाद का नाम दे सकते है। आप नारीवाद को अपना सहयोग दे सकते है।

ये सब बातें तो उन स्त्रियों के लिए था जिन्हे इस सिद्धांत का कोई लाभ नहीं मिला, पर उन स्त्रियों का क्या जिन्हे इनका पूरा लाभ मिला है। समाज के हर कार्य में बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रही है। आप सोच रहे होंगे कि इनसे क्या दिक्कत है, यही तो नारीवाद का फायदा है। तो में आपको बता दूं कि देश में कई स्त्रियां ऐसी भी है जो इस नारीवाद का गलत फायदा उठा रही है। उनको मिले अधिकार का दुरुपयोग कर रही है। आप सोच रहे होंगे मैं क्या बोल रहा हूं, मुझे ऐसे नहीं बोलना चाहिए, पर ये आज का सच है। कुछ लड़कियां नारीवाद नारीवाद बोल कर अपना रोब जमाती है, वो चाहे बस की सीट की बात हो या फिर कोई भी काम को लेकर हो। मेरा तो मानना है कि अगर स्त्रियां पुरषों के समान चलना चाहती है तो उनके जैसा काम भी करे, ना की जहां कोई लाभ हो रहा है या जहां कोई जिम्मेदारी से बचा जा सके वहा नारीवाद का नाम से फायदा उठाएं। मैं ये नहीं बोल रहा हूं कि सारी स्त्रियां ऐसी होती है, या सभी को पुरूषों जैसा काम करना ही है, पर जो हर जगह नारीवाद कह कर छूट पाती है उन्हें ये विचार करना चाहिए कि वो क्या कर रही है। कुछ लड़कियां तो ऐसी भी है जो सीधे साढ़े लड़को को फसाती है, और वो लड़का सिर्फ इसलिए अपनी आवाज नहीं उठा पाता कि कहीं वो लड़कियां उसपर मिथ्या आरोप ना लगा दे, जो पाप उसने किया ही नहीं है उसका सजा ना दिला दे। हां ये होता है आजकल , क्योंकि हमारे समाज आज बिना कुछ सोचे समझे, स्त्रियों का साथ दे देते हैं। चाहे गलती स्त्री का ही क्यों ना हो पर पहली नजर में पुरुष को ही सभी दोषी मान लेते है।

क्या ये सही है, हमे ये समझना होगा कि गलती किसी का भी हो सकता है, गुनहगार कोई भी हो सकता है, बिना कोई विचार विमर्श किए ही आप किसी को भी दोषी नहीं मान सकते है। आप सोच रहें होंगे कि ये सब नारीवाद सिद्धांत के आने के कारण हुआ है, ये नहीं आता तो आज ऐसा नहीं होता। ठीक है मैं मानता हूं कि ऐसा नहीं होता पर इसका क्या गारंटी है कि और कोई परेशानियां नहीं होती। हर चीज की अच्छाई बुराई दोनो होती है। ये हमपर निर्भर करता है कि हम उस चीज को किस प्रकार लेते है। इसलिए मेरा मानना है कि ये नारीवाद सिद्धांत बहुत ही लाभदायक है परन्तु हमे अपना दिमाग से काम लेना चाहिए, बिना कुछ सोचे समझे ही किसी का साथ नहीं देना चाहिए। मेरा आपसे ये गुज़ारिश है कि कृपया किसी भी सिद्धांत का विरोध करने से पहले उसका असर हर दृष्टि से देख ले। और सबसे महत्वपूर्ण बात, बिना सोचे विचारे किसी को भी अपना सहयोग ना दे।


सनोज कुमार द्वारा रचित

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