Saturday, October 3, 2020

माही का क्रिकेट करियर

 

याद है हमे आज भी वो दिन,

जब 2005 में ये क्रिकेट जगत में आया।

अपने बल्लेवाजी और कप्तानी से,

हमे टी20 का पहला विश्व कप दिलाया।

 

सचिन के कहने पर कप्तानी संभाला,

फिर सबको अपना दीवाना बनाया।

एक एक कर सीनियरों को दी विदाई,

युवा टीम की ज़िम्मेदारी, कंधो पर उठाया।

 

पहले टी20, फिर वनडे फिर टेस्ट भी,

हर विभाग में अपना दमखम दिखाया।

अपने सर पर हार का जिम्मा,

और टीम को जीत का वजह बताया।

 

खुद नंबर सात पर आकर,

युवाओं को बेफिक्र खेलने का मौका दिया।

विकेट के पीछे से चारो दिशाओं में नजर रख,

अपने अंदाज में ही विपक्षियों को नचाया।

 

अपने बल्ले से हेलीकॉप्टर शॉट लगाकर,

2011 का भी विश्व कप हमें दिलवाया।

कपिल देव के 28 साल बाद हमारे लिए,

ऐसा कर, पूरे विश्व में कैप्टन कुल कहलाया।

 

समय रहते सीरीज के बीच में ही,

टेस्ट का कमान कोहली को दे दिया।

अपने कप्तानी में ही ना जाने कितने,

भारतीय खिलाड़ियों का क्षमता जगा दिया।

 

इंटरनेशनल के साथ आईपीएल में भी,

अपना कप्तानी को लोहा मनवाया।

भारत के एक छोटे शहर रांची का लड़का,

अपने योग्यता से सारे जग में छा गया।

 

2015 विश्व कप में पराजय के बाद,

अपने कप्तानी पद से इस्तीफा दे दिया।

लगातार खराब लय रहने के कारण,

सबकी बुराइयों को हंस कर टाल दिया।

 

कप्तानी छोड़ने के कई साल बाद तक,

विकेट के पीछे से ही कई मैच जिताया।

सूझबूझ और चतुराई से सहयोग कर,

विराट को भी कप्तानी का चाल सिखाया।

 

2019 के विश्व कप के सेमीफाइनल में भी,

क्रीज पर टिक कर जितने का उम्मीद बनाया।

विलियमसन के लड़ाकों के सामने उनके जमी पर,

कुछ इंच के कारण लाइन से पीछे ही रह गया।

 

अपने काबिलियत और दमखम से,

जिसने इंडिया को नए मुकाम पर पहुंचाया।

कोरोना काल में, आजादी वाले दिन संध्या को,

वो इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कह दिया।

 

अपने कैरियर के ऊंची कीर्तिमान के लिए,

भारत का लाल हमेशा याद रखा जाएगा।

चाहे तुम दीया लेकर क्यों ना ढूंढ लो,

इसके जैसा ओर कोई ना मिल पाएगा।

 

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 (सनोज कुमार के कलम से )

 

 

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