मैं गांव का एक सीधा सादा लड़का, शहर में हंसी ख़ुशी अपना जीवन बिता रहा हूं। कॉलेज मस्ती दोस्त घूमना यही सब से मेरा ज़िन्दगी चल रहा है। कभी सट्टा खेल कर या तो कभी इसका सामान उसे, उसका सामान इसे बेचवा कर, इसी तरह इधर उधर से पैसों को जुगार हो जाता है। मुझे गांव छोड़े 6 साल हो गए और अब तो वहां की यादें भी नहीं आती है। मेरी मां और बाबू जी को भी कहा था कि क्या रखा है इन गावों में, चलो शहर पर वो लोगों को तो गांव ही अच्छा लगता है। गांव में मेरी एक गर्ल फ्रेंड भी हुआ करती थी, मैंने तो उसे भी कहा था साथ आने को पर वहीं पापा नहीं मानेंगे वाला नाटक कर, नहीं आई। वैसे अच्छा ही हुआ कि नहीं आई वरना इस शहर की लड़कियों का मज़ा कैसे ले पाता। आप लोग सोच रहे होंगे कि आज आपको अपनी गांव की बातें क्यों बता रहा हूं - दरअसल बात ये है कि आज उस लड़की का फोन आया था। इतने साल हो गए लेकिन उसका वहीं प्यार वाला नाटक अभी तक खत्म नहीं हुआ। मुझे इतने दिनों तक ज्यादा दिक्कत नहीं हुई, कभी कभी फोन करती थी। मैं भी थोड़ा प्यार से बात कर लेता था। उसे नया फोन मिलने पर तो मेरा दिमाग ही खराब कर दी है। दिन में कम से कम चार बार फोन नहीं करेगी तो उसको नींद ही नहीं आएगा। आप ही बताइए ऐसा कब तक चलता, मैं यहां शहर का मज़ा ले रहा हूं और वो अब तक गांव में मेरे से शादी की सपने देख रही है। हां माना की मैंने उससे शादी का वादा किया था पर वो बात तो बहुत पहले की है, उस समय तो हम नादान थे। दुनियां तो अभी हमने देखना ही शुरू किया है। वैसे भी अब तो हसीन से हसीन लड़की मेरी गर्लफ्रेंड बनना चाहती है, ऐसे में कोई पागल ही होगा जो उस गांव की गवारण के बारे में सोचेगा।
हमेशा तो सिर्फ़ बोलती थी आ जाओ गांव आ जाओ, तुम्हे देखने का मन करता है तुमसे बहुत प्यार करती हूं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती, पर आज वो रो रो कर अपनी शादी की बात कर रही थी। उसने बताया कि -
मेरी शादी तय हो गई है। अगले ही सप्ताह मेरे घरवाले मेरी मर्जी के खिलाफ मेरी शादी किसी और से करा देंगे। मैं सिर्फ तुम्हे चाहती हूं तुम्हारे सिवा मैं किसी और कि नहीं हो सकती। इतने दिनों से हर पल तुम्हारी ही राह देख रही हूं, तुम किसी भी तरह जल्द से जल्द आ कर मुझे अपना बना लो। हमने जो सपने देखे थे, एक दूसरे के साथ निभाने का जो वादा किए थे उसे पूरे करने का वक़्त आ गया है। मैं मर जाऊंगी यदि तुमसे मेरी शादी नहीं हुई तो।
यह सब सुन कर मैं बहुत घबरा गया पर मेरा क्या जाता है उसके घर वाले समझे। सभी घरवाले तो है ही उसका ध्यान रखने के लिए, वैसे भी शादी हो रहा है तो अच्छा हैं कम से कम मेरा पीछा तो छूटेगा। यही सब सोच कर मैं नहीं गया और यहां पहले के तरह जीवन बिताने लगा। कुछ महीने बीतने के बाद अचानक वो लड़की मेरे सामने आ गई मैं तो आश्चर्य हो गया कि ये यहां कहां से आ गई और तभी गांव से खबर आता है कि मेरे दादा जी का देहांत हो गया है और मेरे पिता जी ने मुझे बुलाया है। मैं उसके साथ ही गांव चला गया। गांव में जा कर दादा जी का काम क्रिया में लग गया। कुछ दिन बीतने के बाद मुझे कुछ अलग एहसास लगने लगा।
दादा जी के क्रिया के कुछ दिन पहले ही मैंने एक अजीब आवाज़ सुनी, मैंने सोचा कि मेरा कोई वहम होगा और यूं हीं नजरअंदाज कर दिया। फिर एक रात मैं बाथरूम गया, जैसे ही बाथरूम से बाहर आया तो मुझे कोई दिखा, गौर से देखने के बाद कुछ जाना पहचाना सा लगा। मैंने सोचा, होगा कोई आस पास का, फिर मैं अपने कमरे में चला गया। कमरे के दरवाजा बन्द करते ही मुझे ऐसा लगा कि मेरे पीछे कोई खड़ा है, मेरा तो पसीना छूटने लगा। बहुत हिम्मत कर पीछे मुड़ा तो देखा मेरे बिस्तर पर कोई सोया है, मेरा तो हालत खराब हो गया। जैसे तैसे बिस्तर के पास गया तो देखा वहां कोई नहीं है तब मेरी जान पर जान आई और किसी तरह उस रात मैं सो पाया। सुबह होते ही मैं सब कुछ भूलना चाहा पर चाह कर भी भूल नहीं पाया। ये घटना मैं किसी को बताना भी नहीं चाह रहा था क्योंकि सब मुझे डरपोक समझेंगे। वैसे भी ये गांव में लड़कों को बहुत ही बहादुर समझा जाता है अगर ऐसे में, मैं कुछ इस तरह का बात कहूं तो मुझे सब लड़की - लड़की कह कर चिढ़ाएंगे। यही सब सोच कर मैंने किसी से उस रात की घटना साझा नहीं किया और घर के कामों में लग गया।
दादा जी का काम क्रिया खत्म होने के बाद मैं भी अब अपने शहर जाने का तैयारी करने लगा। तभी एक रात फिर मेरे बिस्तर के पास कोई है ऐसा लगा। इसके पहले तो मैं सोचा कि दादा जी का आत्मा होगा इसलिए मैं नजरअंदाज कर दिया था, पर अब तो क्रिया भी समाप्त हो गया है दादा जी का आत्मा तो नहीं भटकना चाहिए। यह सब सोच मैं और डरने लगा। मैं अपने फोन का लाइट जला कर देखना चाह रहा था कि कौन है पर सामने रखे फोन, मैं उठा ही नहीं पा रहा था, ऐसा लगा मेरे फोन की सिर्फ परछाई है। बहुत कोशिश करने के बाद फोन ख़ुद उड़ने लगा और जोड़ से दीवार में टकरा गया। मेरे सामने अपने आप मेरा फोन चकना चूर हो गया, ऐसा कोई करता तो मैं उसका जान ले लेता पर यहां तो सब कुछ अपने आप ही हो रहा था और मैं कुछ नहीं कर पा रहा था। तभी अपने आप दरवाजा खुला और मानों मुझे कोई अपने ओर खींच रहा है और मैं ना चाह कर भी वही चला जा रहा हूं। मुझे कुछ दूर ले जाने के बाद वो छोड़ दिया, मैं वहां से भागने वाला ही था कि सामने वाले घर का दरवाजा अपने आप खुल गया, तब मुझे याद आया कि ये घर तो उसी लड़की का है जो मुझे परेशान कर रखी थी यानी कि मेरी यहां की गर्लफ्रेंड। तब मुझे बहुत कुछ याद आने लगा, क्योंकि यही से मेरी और उसकी प्यार की शुरुआत हुई थी। मैं तो इसे भूल ही गया था, इसका घर देख कर और भी डर लगने लगा। मेरे मन में बहुत अजीब अजीब ख्याल आने लगा। फिर वही जबरदस्ती से मैं घर की और जाने लगा और उस घर के छत पर जाकर रुक गया।
तभी जोड़ की आंधी तूफ़ान आने लगा, बिजली भी चमकने लगा, मैं चाह कर भी वहां से जा नहीं सका। मुझे धीरे धीरे सब समझ आने लगा। हो ना हो ये उस लड़की की आत्मा ही है। मुझे तो विश्वास ही नहीं हुआ की वो लड़की मर चुकी है। एक एक कर उसके साथ बिताए सभी यादें ताज़ा हो गई। इसी छत पर हमने बहुत से सुहाने पल बिताए है, यहां हम अक्सर सबसे छुप कर मिला करते थे। ज़िन्दगी भर साथ रहने के कसमें भी यही खाए थे और शायद आखिरी मर्तवा भी यहां ही मिले थे। अब मुझे डर कम बेताबी ज़्यादा लग रहा था, क्या हुआ क्यों हुआ ये सब कैसे हुआ, बहुत सारे सवाल मन में आ रहा था, तभी अचानक एक जोड़ का बिजली चमका और उस लड़की की आत्मा का दर्शन हुआ। मुझे लगा सब मेरी वजह से हुआ है इसलिए वो बदला लेने आई है पर वो बताई -
मेरा एक्सिडेंट तो तभी हो गया था जब मैं तुमसे मिलने गई थी। शहर पहुंचते ही मेरा एक्सिडेंट हो गया था और वहीं मेरी मृत्यु हो गई थी पर तुमसे मिलने का इच्छा के कारण मैं तुमसे वहां मरने के बाद भी गई। मैं सिर्फ़ तुम्हें ही दिख सकती हूं और किसी को नहीं। मैं सोची थी कि तुमसे मिलने के बाद मैं चली जाऊंगी तभी मुझे पता चला कि मेरे घर वाले तुम्हे ही दोषी मान रहे है और मेरे पापा तुम्हारे घर पर जाकर बहुत कुछ बोले है। तभी मैं सोची की पहले तुम्हारे ऊपर से यह इल्जाम हट वाऊंगी फिर मैं जाऊंगी। उसी वक्त तुम्हारे दादा जी का देहांत हो गया इसलिए उस समय मैं कुछ नहीं कर सकी और अब समय आ गया है कि मैं अपने पापा मां के सामने तुम्हे निर्दोष साबित करूं। मैं दिन में बहुत कमजोर हो जाती हूं तो अभी ही सही समय है इसलिए मैं तुम्हे अपने घर तक लाई हूं।
मैं तुमसे पीछा छुड़ाना चाहता था पर तुम मर कर भी मुझे निर्दोष साबित करने आई। मुझे माफ कर दो मैं शहर का मज़ा लेने में बहुत ज़्यादा गलती कर चुका हूं। तभी वो बोली कि ऐसी कोई बात नहीं है मैं ही तुम्हारे पीछे पड़ी थी बल्कि तुम तो मुझे पसंद ही नहीं करते थे। तभी इसके घर वाले आ गए और वो लड़की सबको सब कुछ बता कर चल गई। पर मुझे पश्चाताप के अग्नि में जला कर चल गई की मैं समय रहते क्यों नहीं उसके प्यार को समझ पाया।
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