Tuesday, May 16, 2023

अस्पताल के बिस्तर से

 

भाग दौड़ भरी जिंदगी में,
एक पल ना आराम किया।
अपने लिए कुछ कर ना सका,
दूसरों के लिए हर पल जिया।

ना खुश है मेरे अपने,
जबकी मैने उन्हें हर चीज दिया।
अब भी शिकायत है उन्हें,
जिन्हें ना मैने ठीक से वक्त दिया।

अपना सपना भुल,
अपनों का जिम्मेदारी लिया।
खुद का कुछ लक्ष्य था,
उसे भी में समय रहते हासिल ना किया।

अस्पताल के बिस्तर से,
लगता है जीवन व्यर्थ चला गया।
जब से होश संभाला है,
अपने खुशी के लिए कुछ नहीं किया।

 

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