जब हम बिछड़े थे
पता ना था वो पल,
हम यारों का मिलन आखरी होगा।
हाथ में चाय की पियाली लिए,
वो पिक्चर बिछड़ने का निशानी होगा।
संदेश लिए आंधी आया,
कोई उस वक्त समझ ना पाया।
चार साल कॉलेज के लम्हे,
एक ही झटके में उड़ा ले गया।
फिर कॉलेज आने का प्लान,
अधूरा ही रह गया।
जब कोरोना महामारी के वजह,
हमारा अंतिम परीक्षा ऑनलाइन हो गया।
जिम्मेदारी ना थी, ना था किसी का नाम
जब हम बिछड़े थे, करते ना थे काम।
अब तो प्लान बनाने से पहले,
अवकाश का करना पड़ता है इंतजाम।
अपने दोस्त यार के गले लग,
उसे हम दिल से विदा भी ना कर सके।
बार बार योजना बना,
आज तक एक दूसरे से मिल ना सके।
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