जीत और हार
लड़ना गिरना संभलना,
पर कभी हार ना मानना।
जीवन रूपी जिंदगी को,
हंसी खुशी गुजरना।
परवाह ना करना रुकावटों का,
बिन पीछे मुड़, तुम आगे बढ़ते जाना।
मिले रास्ते में पत्थर तो,
उसे हटा कर चलते जाना।
हो सकता है हार,
पर तुम कभी लक्ष्य से ना भटकना।
मंजिल बेशक मुस्कील हो,
तुम उसे नामुमकिन ना बनाना।
तुम अपने कर्म पर विश्वास कर,
सब ऊपर वाले पर छोड़ देना।
जीत और हार की दूरी को,
अपने मेहनत से कम कर देना।
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