कई दिनों से
सता रही है मुझे मेरी गलती,
पिछले कई दिनों से।
नुकसान हो या ना हो,
होती रहती है गलतियां मुझसे।
सोचूं उसके बारे में,
या नजरंदाज कर आगे बढ़ता जाऊं।
सोचने से मनोबल टूट जाए,
विचार ना करूं तो क्या वही दोहराऊं।
ध्यान से कुछ करूं,
किंतु फिर कुछ और गलत हो जाए।
पता नहीं क्यों,
यह गलतियां मुझसे दूर ना रह पाए।
हां सीखता हूं,
पर क्या हमेशा सीखता जाऊं?
इसी तरह क्या,
हर राह पर गलती करता जाऊं?
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