Friday, May 12, 2023

ख्वाबों के परिंदे


ख्वाबों में है अपना शहर,

चार दोस्त और चंद रिश्तेदार।

खुद की सुख या दुख का,

मैं ही रहता हूं एकमात्र जिम्मेदार।

ना कोई अपना,

ना कोई पराया।

मेरे ख्वाबों में,

मुझे लगते है सब प्यारा।

क्यों ना देखू मैं ख्वाब,

जब कठिन है जीना वास्तिविकता में।

ना कोई रोक, ना कोई रोड़े,

इसलिए मन रहता है मेरा आनन्द में।

 

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