मेरा अतीत
वक्त की नज़ाकत,
मुझे समझ नहीं आता।
लाख भला करूं,
फिर भी मैं बुरा बन जाता।
गलती पहले का,
कभी भी सामने आ जाता।
पाप पुण्य का लेखा जोखा,
मेरे समझ में नहीं आता।
जिस पर ध्यान दिया,
आज वो ही सुना जाता।
कोई किसी को,
इतना दुख कैसे दे पाता?
खुद को भुला,
औरों का साथ देता।
जरूरत पड़ने पर
जरूरतमंद को ज्ञान देता।
अच्छा कर्म करने पर भी,
मुझे फल नहीं मिलता।
मेरा अतीत,
मेरा पीछा नहीं छोड़ता।
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