शहर और तुम
अजनबी शहर,
वहां तुम मेरे अपने बन गए।
पहले थे अंजान,
अब जीने के लिए जरूरी बन गए।
पहले मित्र थे तुम,
सोचा और भी दोस्ती यारी होगी।
चार वर्षो में मिले तो काफी,
फिर भी किसी से तेरे जैसा ना बनी।
गाली से लेकर छेड़खानी,
पढ़ाई के नाम पर भविष्य की कहानी।
हर बदमासी में अपनी हिस्सेदारी,
इसलिए थी लड़कियां हम दोनों की दीवानी।
याद आते है वो पल,
जब हम बाइक से पूरा शहर घुमा करते थे।
कभी मैडम का पीछा तो
कभी लड़कियों को घर तक छोड़ा करते थे।
वह शहर के गली महोल्ले,
अब सुन सान रहते होंगे।
हम यारों की कमी के वजह से,
कॉलेज वाले रोड भी विरान लगते होंगे।
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