जिंदगी और मैं
खुश हूं मैं,
या रहूं मैं कितने भी दुःख में।
चार दिन की इस जिंदगी को,
खुल कर जीयूं अपने मन से।
ना करना है फिक्र,
ना रखना है किसी से आशा।
जी लूं अपनी जिंदगी जी भर के,
होगा ना कभी निराशा।
मेरी जिंदगी, मेरा मन,
जो दिल करे वो मैं करूं।
अपनी दिल की बात सुनूं,
या फिर औरों पर ध्यान दूं।
कहने दे जिसे जो कहना है,
दिमाग लगा, बस हमे अपना करना है।
गलती हो जाए फिर भी,
हमे सिख कर, दुबारा ना दोहराना है।
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