किसी उम्र में भी
नहीं मिलता चैन और करार,
वही सरल लगता है
जो हो जाता है पार।
बचपन में पढ़ाई,
या फिर हो जाए आपस में वार।
हमे जल्दी रहती है,
की कब हम होंगे होशियार।
जवानी में करियर की चिंता
या फिर नहीं मिलता सच्चा प्यार।
सब अपने आप में लेती है परीक्षा,
रख कर गले में तलवार।
अधेड़ में परिवार या
आगे चल कर बच्चों का संसार।
जीवन में रहती ही है समस्या,
चाहे रहो तुम कितने भी तैयार।
बुढ़ापे में फिर अकेलापन,
या फिर दवाई का रहता है भरमार।
तंग आ जाते है जीवन से,
और जाना चाहते है हरिद्वार।
जिंदगी जीने के दिन है
केवल चार
गिला शिकवा भूल कर
हंसी खुशी गुजार लो यार।
*****
नहीं मिलता चैन और करार,
वही सरल लगता है
जो हो जाता है पार।
बचपन में पढ़ाई,
या फिर हो जाए आपस में वार।
हमे जल्दी रहती है,
की कब हम होंगे होशियार।
जवानी में करियर की चिंता
या फिर नहीं मिलता सच्चा प्यार।
सब अपने आप में लेती है परीक्षा,
रख कर गले में तलवार।
अधेड़ में परिवार या
आगे चल कर बच्चों का संसार।
जीवन में रहती ही है समस्या,
चाहे रहो तुम कितने भी तैयार।
बुढ़ापे में फिर अकेलापन,
या फिर दवाई का रहता है भरमार।
तंग आ जाते है जीवन से,
और जाना चाहते है हरिद्वार।
जिंदगी जीने के दिन है
केवल चार
गिला शिकवा भूल कर
हंसी खुशी गुजार लो यार।
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