Tuesday, February 27, 2024

निंदिया रानी


आजा रे निंदिया रानी,

रात हो गई अंधेर।

बबुआ को सुला दे,

कहीं हो ना जाए देर।


चांदनी टीम-टिमा रही है,

फिर भी इसकी आंखे है खुली।

सुला दे ना हो रात रानी,

क्या तुम्हें नींद उड़ाने को और कोई नहीं मिली?


कैसे डरा कर सुलाऊं इसे,

यह तो सब कुछ समझती है।

दिन भर मोबाइल देखकर,

खुद भूत-भूत ही खेलती है।


बच्ची को सुला कर,

मुझे भी करना है बाकी बचा काम।

फिर मुझे भी तो सोना है,

लेकर प्रभु का नाम।


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