मेहंदी सजी थी हाथों में,
बदन पर हल्दी लगा था।
कोई उसके लिए घोड़ी चढ़ा है,
ऐसा उसे देख कर ही लग रहा था।
आंगन में फूल सजा है,
भाई बहन उसके काम पर लगा है।
रिश्तेदारों की नोक झोंक के बीच,
घर का माहोल पूरा आनंद मय बना है।
चेहरे पर डर, चिंता
तो कभी खुशियां दिख रहा है।
इनके मां बाप को देख,
कुछ ऐसा ही लग रहा है।
इनकी बात पसंद, ना पसंद,
की बातों से अब काफी आगे बढ़ा है।
दोनों एक दूसरे के साथ,
साथ जन्मों का वचन पढ़ा है।
नए घर, नए संसार,
दुल्हन को जाने का वक्त हो चला है।
जिसे अपनी गोद में खेलाया था,
अब उसे विदा कर रहा है।
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