Monday, September 2, 2024

गूंज

वो बातें,
जिसे मैं तभी नजरंदाज करता था।
आज वो सब बात,
मेरे कानों में जोर जोर से गूंजता है।

हां, तभी मैं नादान था,
दुनिया के हकीकत से अनजान था।
कब कौन किस मोड़ पर साथ छोड़ दे,
यह सब का मेरे दादा जी को अच्छी तरह ज्ञान था।

उनकी हर बात का मतलब,
उनके जाने के बाद समझ आ रहा है।
जो दादा के कहानियों में जो हुआ करता था,
आज हकीकत में हमारे जिंदगी में हो रहा है।

शुक्रिया दादा जी,
जो आपने मुझे आज के लिए तैयार किया।
आपकी कही हर बात ध्यान में रख,
मैंने भी जीवन का हर परीक्षा पार किया।

 
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