Sunday, September 15, 2024

मां


आधी रात को भी पुकारू,

तु दौड़े चली आती है।

अपनी आधी नींद में भी,

हमारे सर सहलाती है।

 

चाहे हो जाऊं कितना भी बड़ा,

तु बच्चे के तरह ही सवारती है।

आ जाए जिंदगी में कितने भी लोग,

तु अपनी ममता लुटाना नहीं छोड़ती है।

 

जिंदगी में हो कितने भी कश्मकश,

तेरे गोद में सुकून मिल जाता है।

तेरे चेहरे पर हसीं देख कर,

हमे भी जीने में मजा आता है।

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