सजती हूं मैं खुद के लिए,
दूसरे के नजरों से ना देखती हूं।
प्यार, मैं खुद को करती हूं,
अपने लिए किसी और को ना ढूंढती हूं।
अपनी व्यस्त जीवन से,
खुद के लिए मैं समय निकालती हूं।
औरों के तरह मैं किसी और को नहीं,
मैं खुद मैं, खुद को तलाशती हूं।
मैं जो चाहे करूं,
बस अपने दुनियां को जीती हूं।
लोग मुझे भले ही अबला नारी समझे,
मुझे जो करना है, मैं बेहिजक करती हूं।
परिवार का लालन पोषण के साथ,
अपनो की हर जरूरतों को पूरा करती हूं।
खुद भले ही मायूस रहूं,
पर अपनो के चेहरे को खुशनुमा रखती हूं।
मैं कमाती भी हूं, उड़ाती भी हूं,
मैं अपने शर्त पर अपनी जिंदगी जीती हूं।
कोई मुझ पर खर्चा क्यों करे,
मैं अपने सपनों की उड़ान खुद भर्ती हूं।
कोई मुझे कितना भी दुख दे दे,
मैं लोगों की बातों को ना दिल से लगाती हूं।
सारे दर्द, गम गीले सिकवे, छुपा कर,
चहेरे पर मुस्कान लिए घूमती हूं।
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