वो सरहदों पर ठंडी-गर्मी का एहसास किए बिना,
दुश्मनों से हमारी सुरक्षा के लिए तैनात रहता है।
और हम अपनी ऐशो-आराम वाली ज़िंदगी मे भी,
अपने देश को ही जाती-राज्य में विभाजित करते है।
कभी उनका भी दर्द दुःख सह कर देख लो,
अपने घर से बिछड़ कर देख लो।
जिस तरह वो अपना सब कुछ भुला कर वतन की रक्षा करते है,
तुम भी अपनी तरह से साथ देकर इस देश के दुःख हर लो।
कह दो उन्हे, हम तुम्हारे साथ हैं,
कुछ नेताओं के कारण हम नहीं है भटकने वाले।
लाख हम अपने देश मे लड़ाइयाँ करले,
पर हम सब है सैनिकों को होंसला बढाने वाले।
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