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Saturday, December 26, 2020

अविस्मरणीय प्रेम

मैं गांव का एक सीधा सादा लड़का, शहर में हंसी ख़ुशी अपना जीवन बिता रहा हूं। कॉलेज मस्ती दोस्त घूमना यही सब से मेरा ज़िन्दगी चल रहा है। कभी सट्टा खेल कर या तो कभी इसका सामान उसे, उसका सामान इसे बेचवा कर, इसी तरह इधर उधर से पैसों को जुगार हो जाता है। मुझे गांव छोड़े 6 साल हो गए और अब तो वहां की यादें भी नहीं आती है। मेरी मां और बाबू जी को भी कहा था कि क्या रखा है इन गावों में, चलो शहर पर वो लोगों को तो गांव ही अच्छा लगता है। गांव में मेरी एक गर्ल फ्रेंड भी हुआ करती थी, मैंने तो उसे भी कहा था साथ आने को पर वहीं पापा नहीं मानेंगे वाला नाटक कर, नहीं आई। वैसे अच्छा ही हुआ कि नहीं आई वरना इस शहर की लड़कियों का मज़ा कैसे ले पाता। आप लोग सोच रहे होंगे कि आज आपको अपनी गांव की बातें क्यों बता रहा हूं - दरअसल बात ये है कि आज उस लड़की का फोन आया था। इतने साल हो गए लेकिन उसका वहीं प्यार वाला नाटक अभी तक खत्म नहीं हुआ। मुझे इतने दिनों तक ज्यादा दिक्कत नहीं हुई, कभी कभी फोन करती थी। मैं भी थोड़ा प्यार से बात कर लेता था।  उसे नया फोन मिलने पर तो मेरा दिमाग ही खराब कर दी है। दिन में कम से कम चार बार फोन नहीं करेगी तो उसको नींद ही नहीं आएगा। आप ही बताइए ऐसा कब तक चलता, मैं यहां शहर का मज़ा ले रहा हूं और वो अब तक गांव में मेरे से शादी की सपने देख रही है। हां माना की मैंने उससे शादी का वादा किया था पर वो बात तो बहुत पहले की है, उस समय तो हम नादान थे। दुनियां तो अभी हमने देखना ही शुरू किया है। वैसे भी अब तो हसीन से हसीन लड़की मेरी गर्लफ्रेंड बनना चाहती है, ऐसे में कोई पागल ही होगा जो उस गांव की गवारण के बारे में सोचेगा।


हमेशा तो सिर्फ़ बोलती थी आ जाओ गांव आ जाओ, तुम्हे देखने का मन करता है तुमसे बहुत प्यार करती हूं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती, पर आज वो रो रो कर अपनी शादी की बात कर रही थी। उसने बताया कि -
मेरी शादी तय हो गई है। अगले ही सप्ताह मेरे घरवाले मेरी मर्जी के खिलाफ मेरी शादी किसी और से करा देंगे। मैं सिर्फ तुम्हे चाहती हूं तुम्हारे सिवा मैं किसी और कि नहीं हो सकती। इतने दिनों से हर पल तुम्हारी ही राह देख रही हूं, तुम किसी भी तरह जल्द से जल्द आ कर मुझे अपना बना लो। हमने जो सपने देखे थे, एक दूसरे के साथ निभाने का जो वादा किए थे उसे पूरे करने का वक़्त आ गया है। मैं मर जाऊंगी यदि तुमसे मेरी शादी नहीं हुई तो।


यह सब सुन कर मैं बहुत घबरा गया पर मेरा क्या जाता है उसके घर वाले समझे। सभी घरवाले तो है ही उसका ध्यान रखने के लिए, वैसे भी शादी हो रहा है तो अच्छा हैं कम से कम मेरा पीछा तो छूटेगा। यही सब सोच कर मैं नहीं गया और यहां पहले के तरह जीवन बिताने लगा। कुछ महीने बीतने के बाद अचानक वो लड़की मेरे सामने आ गई मैं तो आश्चर्य हो गया कि ये यहां कहां से आ गई और तभी गांव से खबर आता है कि मेरे दादा जी का देहांत हो गया है और मेरे पिता जी ने मुझे बुलाया है। मैं उसके साथ ही गांव चला गया। गांव में जा कर दादा जी का काम क्रिया में लग गया। कुछ दिन बीतने के बाद मुझे कुछ अलग एहसास लगने लगा।


दादा जी के क्रिया के कुछ दिन पहले ही मैंने एक अजीब आवाज़ सुनी, मैंने सोचा कि मेरा कोई वहम होगा और यूं हीं नजरअंदाज कर दिया। फिर एक रात मैं बाथरूम गया, जैसे ही बाथरूम से बाहर आया तो मुझे कोई दिखा, गौर से देखने के बाद कुछ जाना पहचाना सा लगा। मैंने सोचा, होगा कोई आस पास का, फिर मैं अपने कमरे में चला गया। कमरे के दरवाजा बन्द करते ही मुझे ऐसा लगा कि मेरे पीछे कोई खड़ा है, मेरा तो पसीना छूटने लगा। बहुत हिम्मत कर पीछे मुड़ा तो देखा मेरे बिस्तर पर कोई सोया है, मेरा तो हालत खराब हो गया। जैसे तैसे बिस्तर के पास गया तो देखा वहां कोई नहीं है तब मेरी जान पर जान आई और किसी तरह उस रात मैं सो पाया। सुबह होते ही मैं सब कुछ भूलना चाहा पर चाह कर भी भूल नहीं पाया। ये घटना मैं किसी को बताना भी नहीं चाह रहा था क्योंकि सब मुझे डरपोक समझेंगे। वैसे भी ये गांव में लड़कों को बहुत ही बहादुर समझा जाता है अगर ऐसे में, मैं कुछ इस तरह का बात कहूं तो मुझे सब लड़की - लड़की कह कर चिढ़ाएंगे। यही सब सोच कर मैंने किसी से उस रात की घटना साझा नहीं किया और घर के कामों में लग गया।


दादा जी का काम क्रिया खत्म होने के बाद मैं भी अब अपने शहर जाने का तैयारी करने लगा। तभी एक रात फिर मेरे बिस्तर के पास कोई है ऐसा लगा। इसके पहले तो मैं सोचा कि दादा जी का आत्मा होगा इसलिए मैं नजरअंदाज कर दिया था, पर अब तो क्रिया भी समाप्त हो गया है दादा जी का आत्मा तो नहीं भटकना चाहिए। यह सब सोच मैं और डरने लगा। मैं अपने फोन का लाइट जला कर देखना चाह रहा था कि कौन है पर सामने रखे फोन, मैं उठा ही नहीं पा रहा था, ऐसा लगा मेरे फोन की सिर्फ परछाई है। बहुत कोशिश करने के बाद फोन ख़ुद उड़ने लगा और जोड़ से दीवार में टकरा गया। मेरे सामने अपने आप मेरा फोन चकना चूर हो गया, ऐसा कोई करता तो मैं उसका जान ले लेता पर यहां तो सब कुछ अपने आप ही हो रहा था और मैं कुछ नहीं कर पा रहा था। तभी अपने आप दरवाजा खुला और मानों मुझे कोई अपने ओर खींच रहा है और मैं ना चाह कर भी वही चला जा रहा हूं। मुझे कुछ दूर ले जाने के बाद वो छोड़ दिया, मैं वहां से भागने वाला ही था कि सामने वाले घर का दरवाजा अपने आप खुल गया, तब मुझे याद आया कि ये घर तो उसी लड़की का है जो मुझे परेशान कर रखी थी यानी कि मेरी यहां की गर्लफ्रेंड। तब मुझे बहुत कुछ याद आने लगा, क्योंकि यही से मेरी और उसकी प्यार की शुरुआत हुई थी। मैं तो इसे भूल ही गया था, इसका घर देख कर और भी डर लगने लगा। मेरे मन में बहुत अजीब अजीब ख्याल आने लगा। फिर वही जबरदस्ती से मैं घर की और जाने लगा और उस घर के छत पर जाकर रुक गया।

तभी जोड़ की आंधी तूफ़ान आने लगा, बिजली भी चमकने लगा, मैं चाह कर भी वहां से जा नहीं सका। मुझे धीरे धीरे सब समझ आने लगा। हो ना हो ये उस लड़की की आत्मा ही है। मुझे तो विश्वास ही नहीं हुआ की वो लड़की मर चुकी है। एक एक कर उसके साथ बिताए सभी यादें ताज़ा हो गई। इसी छत पर हमने बहुत से सुहाने पल बिताए है, यहां हम अक्सर सबसे छुप कर मिला करते थे। ज़िन्दगी भर साथ रहने के कसमें भी यही खाए थे और शायद आखिरी मर्तवा भी यहां ही मिले थे। अब मुझे डर कम बेताबी ज़्यादा लग रहा था, क्या हुआ क्यों हुआ ये सब कैसे हुआ, बहुत सारे सवाल मन में आ रहा था, तभी अचानक एक जोड़ का बिजली चमका और उस लड़की की आत्मा का दर्शन हुआ। मुझे लगा सब मेरी वजह से हुआ है इसलिए वो बदला लेने आई है पर वो बताई -
मेरा एक्सिडेंट तो तभी हो गया था जब मैं तुमसे मिलने गई थी। शहर पहुंचते ही मेरा एक्सिडेंट हो गया था और वहीं मेरी मृत्यु हो गई थी पर तुमसे मिलने का इच्छा के कारण मैं तुमसे वहां मरने के बाद भी गई। मैं सिर्फ़ तुम्हें ही दिख सकती हूं और किसी को नहीं। मैं सोची थी कि तुमसे मिलने के बाद मैं चली जाऊंगी तभी मुझे पता चला कि मेरे घर वाले तुम्हे ही दोषी मान रहे है और मेरे पापा तुम्हारे घर पर जाकर बहुत कुछ बोले है। तभी मैं सोची की पहले तुम्हारे ऊपर से यह इल्जाम हट वाऊंगी फिर मैं जाऊंगी। उसी वक्त तुम्हारे दादा जी का देहांत हो गया इसलिए उस समय मैं कुछ नहीं कर सकी और अब समय आ गया है कि मैं अपने पापा मां के सामने तुम्हे निर्दोष साबित करूं। मैं दिन में बहुत कमजोर हो जाती हूं तो अभी ही सही समय है इसलिए मैं तुम्हे अपने घर तक लाई हूं।


मैं तुमसे पीछा छुड़ाना चाहता था पर तुम मर कर भी मुझे निर्दोष साबित करने आई। मुझे माफ कर दो मैं शहर का मज़ा लेने में बहुत ज़्यादा गलती कर चुका हूं। तभी वो बोली कि ऐसी कोई बात नहीं है मैं ही तुम्हारे पीछे पड़ी थी बल्कि तुम तो मुझे पसंद ही नहीं करते थे। तभी इसके घर वाले आ गए और वो लड़की सबको सब कुछ बता कर चल गई। पर मुझे पश्चाताप के अग्नि में जला कर चल गई की मैं समय रहते क्यों नहीं उसके प्यार को समझ पाया।

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Saturday, October 10, 2020

रूप नहीं, गुण से प्यार

हर रोज के भांति आज भी रोहन कॉलेज की ओर निकल पड़ा। अपने आप में खोया रहने वाला ये लड़का यूं हीं हंसते गुनगुनाते चला जा रहा था। तभी इसकी नज़र सड़क के उसपार खड़ी एक बूढ़ी औरत पर पड़ी, जिसे देख यह अचंभित रह गया। आप सोच रहे होंगे कि रोहन जैसा जवान लड़के की नजर तो जवान खूबसूरत लड़की पर अटकनी चाहिए ना कि बूढ़ी औरत पर। तो मैं आपको ये बता दूं कि आप गलत नहीं हो। दरअसल रोहन, जरूरतमंदों को मदद करना चाहता हैं और कोई इसे मदद करने बोले तो ये जरूर करता है। इसके नज़र में ये आम बात थी। उस दिन इसका यह सोच पर इसे पुनर्विचार करने पर कोई मजबुर कर दिया।
ना ना आप गलत जा रहे हो, इसकी उलझन बढ़ाने वाली वो बूढ़ी औरत नहीं बल्कि एक युवती थी। जो उस बूढ़ी औरत के बिना मदद मांगे ही उसे खुद से पूछ कर सड़क पार करवा रही थी। उसे देख यह बहुत अच्छा महसूस हुआ। औरो के तरह लड़की के रंग रूप को देख कर नहीं बल्कि उसकी यह बिना किसी के मदद मांगे ही मदद करने वाली गुण पर। इसे ऐसा लगा कि मानों यह लड़की के जैसा और कोई हो ही ना। कुछ देर उसके ख़यालो में खोए रहने के बाद देखता है कि वो लड़की आगे बढ़ गई और इससे दूर चले गई।

वह पूरा दिन उसके बारे में ही सोचता रहा, सिर्फ उसके यह गुण देखकर ही उसे अपने ख्यालों में बहुत अच्छा व्यक्ति मानने लगा। रोहन के बदले हरकतों के कारण जब इसके दोस्तो ने पूछा कौन है वो कैसी दिखती है, तब जाकर इसे एहसास हुआ कि यह तो ठीक से उसे देखा भी नहीं है, सिर्फ उसके मदद करने वाले रूप को ही दिल में बसा लिया है। दोस्तों के सामने अपना मज़ाक ना बन जाए इसलिए वो ख़ुद अपने मन से कुछ कुछ बता दिया। पर दोस्तो के इस बात ने रोहन की दिमाग की बत्ती जला दी। सबने इसे उस लड़की के प्रेम प्रसंग से चिढ़ाना भी प्रारंभ कर दिया पर ये बहुत असमंजस में पड़ गया कि आज दिन भर मेरे ख्यालों में जो समाई थी मैं उसे ठीक से देखा भी नहीं, उसके रूप के बारे में मुझे कुछ पता भी नहीं है। भला ऐसे कैसे प्यार हो सकता है। यही सब बात सोच कर सबकुछ नजरअंदाज कर के सो गया।

उसके अगले ही दिन उसे फिर देखने के आशा से वह उसी वक़्त बन ठन कर निकल गया। अपने दिमाग पर यह रख कर गया था कि आज कुछ भी ही जाए उसे देखूंगा की वह कैसी हैं, उसका रंग रूप कैसा है। उससे मिलने की चाह में उसका राह देखने लगा। काफी देर प्रतीक्षा करने के बाद आखिरकार वो आ गई। जैसे ही उसे देखा तो पूरा तजोताजा हो गया मानो अभी ही आया हो। आज उसपर से नजरें ही नहीं हटाया। हटता भी कैसे गुण के साथ साथ उसका रूप भी सरह्न्य था। दिखने में सावली, पतली दुबली और चेहरे में बहुत सुखद मुस्कान उसके रूप को बहुत मनमोहक बना देता था। वैसे में बेचारे रोहन का अपने दिल पर कैसे वश रहेगा। उसे तब तक देखते रहा जब तक वह उसके सामने ना आ गई। रोहन बहुत घबरा गया, डर के कारण सोचने लगा कि कहीं इसे बूरा तो नहीं लग गया, कहीं यह चिल्ला तो नहीं देगी। पर इसके सोच के विपरित वह लड़की इसे बोलती है

लड़की - ओय
रोहन - हां (घबराता हुआ)
लड़की - तुम वहीं हो ना जो रोजाना यहां से सिटी बस से xyz कॉलेज जाते हो।
रोहन - हां, क्यों क्या हुआ (थोड़ा ठंडक मिला)
लड़की - नहीं कुछ, मै तुम्हे कई बार देखी हूं बस में। मैं भी इसी बस से abc कॉलेज जाती हूं जो तुम्हारे कॉलेज से कुछ आगे है।
रोहन - अच्छा।
लड़की - यदि तुम लेट नहीं हो रहे हो तो एक बात बोलूं।
रोहन - हां बोलो
लड़की - तुम बहुत अच्छे इंसान हो, अपना अच्छाई यूहीं बरकरार रखना।
रोहन - मतलब (अचंभित होकर)
लड़की - मैं तुम्हें बहुत बार देखी हूं कि तुम कैसी भी स्थिति में क्यों ना हो कोई तुम्हे अपना सीट देने बोलता है तो तुम तुरंत उठ खड़े हो जाते हो, और अक्सर इसी कारणों के कारण तुम हमेशा खरे ही सफ़र करते हो।

रोहन को बहुत अच्छा लगा ये सब बातें सुन कर, वो जिस लड़की को जिस गुण के कारण पसंद करता था आज वो लड़की रोहन के उसी गुण के कारण खुद बात करने आई। ऐसे ही बात करते करते कुछ समय बीत गया और लड़की 'मुझे देर हो रहा है बोल कर चल गई'। यह लड़का इसे और भी चाहने लगा और मन ही मन इसका ख्वाब देखने लगा। अगले दिन फिर वही बस में कॉलेज के लिए चढ़ा और अपनी नजरें इधर उधर उसकी खोज में दौराने लगा। तभी इसकी नजर उस लड़की पर पड़ी जो कि सबसे आगे औरतों के जगह पर बैठी थी। आज रोहन पहली बार उसे बस पर देखा, आगे वाली सीट पर बैठने के कारण उसे पूरी तरह देख नहीं पाया, और उसे देखने के लिए उसकी और ही देखते रहा। कुछ देर बाद वो लड़की भी इसकी तलाश में पीछे धुंडने लगी, तभी इन दोनों की नजरें टकराई और दोनों ही एक दूसरे के आंखो में खो गए। इन दोनों कि प्यार भरी नज़रों से बात हो ही रही थी कि उस लड़की को एक औरत बोलती है - " बेटा थोड़ा तुम बैठने दे सकती हो, मेरा घुटना बहुत दुख रहा है"। यह सुन उस लड़की को तो मानो वजह मिल गई उस लड़के के पास जाने की। एक पल भी देर किए बिना वो तुरंत उठ गई और पीछे रोहन के पास जा कर खड़ी हो गई। इस तरह दोनो अब लगभग हर रोज़ इसी तरह  साथ सफ़र करने लगे। यदि कभी भीड़ कम हो तो सीट मिलता नहीं तो अक्सर दोनो खरे ही जाते थे। धीरे धीरे दोनों  में नजदीकी बढ़ने लगी। प्यार का फूल दोनों के दिल में खिलने लगा, पर दोनों इजहार करने से कतरा रहे थे। कभी कभी तो कॉलेज नहीं जा के दोनों इधर उधर घूमने भी चले जाते थे। ऐसे ही कुछ दिन बीतने के बाद एक दिन बरसात के मौसम के कारण बस लगभग खाली था। दोनों आराम से सीट में बैठे थे, और हर रोज के भाती अपनी बातें एक दूसरे से साझा कर रहे थे। जैसा कि आप जानते ही है, लड़की हमेशा खिड़की के तरफ वाली सीट ही लेती है और रोहन उसके बगल में , एक दूसरे के तरफ हो कर बातें कर रहा था। तभी अचानक बस की ब्रेक लगने से रोहन का होंठ उसके होंठ से चिपक गया और अनजाने में ही सही किस हो गया। दोनों बहुत जल्दी दूर हुए और एक दूसरे से नजरें नहीं मिला पाए। तभी रोहन का कॉलेज आ गया और उसे जाना पड़ गया।
रोहन को तो अच्छा लगा, पर वो बहुत डर गया और बहुत शर्मिंदा महसूस करने लगा। किसी को पहली बार किस किया है वो भी ऐसा। पता नहीं इसे कैसा लगा होगा। यही सब बातें सोचते सोचते पूरा दिन गुज़ार दिया। दूसरे ही दिन उससे माफी मांगने और अपनी दिल की बात बोलने के लिए तैयार हो गया। पर आज वो नहीं दिखी, और उसके नहीं दिखने के कारण यह और भी ज़्यादा परेशान हो गया। अपने आप की गलती मान कर बहुत दुखी रहने लगा। अपने प्यार का इजहार करने का सोच कर निकला था पर उसके ना मिलने से कल की बातें में ही फिर से उलझ गया। ऐसे ही कुछ दिनों तक उस लड़की के नहीं आने से रोहन बहुत परेशान रहने लगा। यह तो सोचने लगा कि उस किस के वजह से ही वो इससे दूर चले गई। कुछ दिनों के इंतजार के बाद इससे रहा नहीं गया और इसके दोस्तों ने इसकी हालत देख कर उस लड़की के कॉलेज जा कर पता लगाया तो कुछ ऐसा पता चला कि मानों रोहन के पैर के नीचे से जमीन खिसक गई। उसके दोस्तों ने बताया, उस लड़की का दुर्घटना हो गया है, और वो एक अस्पताल में भर्ती है। यह सुनते ही पागलों के तरह जल्दी से अस्पताल की ओर चल पड़ा।
रास्ते में अपने एक बहुत ही करीबी दोस्त की बातें मान कर अपने आप को संभालते हुए, अपनी मन में चल रहे अशुभ विचारो को शांत किया और अस्पताल पहुंच गया। माथे के चारो तरफ सादे रंग का पट्टी लपेटे हुए, लोहे के सहारे अपनी पैर रखे वह बिस्तर पर लेटी थी। रोहन के पहुंचने से उसकी आंखे खुल गई और दोनों एक दूसरे को देखते ही रो पड़े। बहुत पूछने के बाद वो बताई की -
उसके अगले ही दिन मुझे किसी कारण हॉस्टल से जल्दी निकालना पड़ा और बस के तुम्हारे चौक से आगे बढ़ने के बाद मुझे याद आया कि में आज जल्दी आ गई और तुमको तो थोड़ा देरी होगा। यही सोच में बस से उतरने लगी। मेरे देरी से बोलने के कारण बस तो खुल गया था। मैंने सोचा बहुत धीरे ही चल रहा है इतने में मै तो आराम से उतर सकती हूं, और मैं उतरने लगी। चलती बस से उतरने के कारण लड़खड़ा गई और मैं वहीं गिर गई। गिरते ही मेरा सिर बाइक के साइलंसर से टकरा गया और मैं बेहोश हो गई। कुछ दिनों बाद मुझे होश आया तो पता चला मेरा एक पैर टूट गया और मेरी दायां चेहरा जल गया है।
यह सुन रोहन को बहुत बुरा लगने लगा। यह ना जाने क्या क्या सोच रहा था और यह लड़की इससे मिलने के कारण अपना ऐक्सिडेंट करवा ली। रोहन उसका हाथ थाम उसी वक़्त उसको अपना प्यार का इजहार कर दिया। यह सुन वो लड़की बहुत ही चौंक गई और बोली-
जल्दी वाजी में कोई फैसला मत करो रोहन, पहले मेरा चेहरा तो देख लो। डॉक्टर बोला है कि एक तरफ पूरा गाल जल गया है और हो सकता है इसका दाग ज़िन्दगी भर लगा रहे। तुम जिस लड़की को चाहते थे अब वो नहीं रही। ऐसा बोल वो लड़की मुंह घुमा कर रोने लगी।
रोहन ने उसके माथे को चूमते हुए कहा -
पता है में तुम्हे पहली बार कब देखा था। जिस दिन तुम मुझसे बात करने आई थी, उसके ठीक पहले दिन। तुम किसी बूढ़ी औरत को सड़क पार करवा रही थी। तभी से मैं तुमसे प्यार करने लगा हूं। यही सब बातें रोहन ने उसे बताया और ये भी बताया कि कैसे उसके दोस्तों के पूछने पर दूसरे दिन उसके रंग रूप को देखने गया था।
यह सुन लड़की कि आंखो से आंसू बहने लगे और दोनो एक दूसरे के गले लग गए।

 

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Sunday, September 13, 2020

मेरे दोस्त का नाकामयाब प्यार



मैंने सुना था, प्यार सद्‌गुण और दोस्ती अवगुण मिलने से होता है। अपनी इंजीनियरिंग के शुरुआती दौर में मुझे भी इसी तरह एक दोस्त मिला, जिसका नाम नैतिक था। हम दोनों के वर्ताव , सोच और काफी आदते मिलती थी खासकर बुरी आदते। क्लास में हम दोनों एक साथ ही बैठते थे। एक दिन मैं आगे बैठी एक लड़की को तार रहा था, तो मैंने उसे भी बोला देख भाई कितना मस्त लड़की है (कुछ गलत अंदाज में)। ये सुन वो थोड़ा हंसने लगा और बोला भाई बस तू इसे छोड़ दे ये बंदी मुझे बहुत अच्छी लगती है मै पिछले कुछ दिनों से इसे ही ध्यान दे रहा हूं। पहले तो मैं थोड़ा चिढ़ाया फिर सोचा चलो इसे मिलवाने में मदद करता हूं। इसी बहाने मेरा भी इन लड़कियों से दोस्ती हो जाएगा, वैसे भी मुझे प्यार के चक्कर से दूर ही रहना था। फिर मैं नैतिक को उस लड़की से बात करवाने का उपाय लगाने लगा, कभी नोट्स के बहाना तो कभी कुछ। पर ज्यादा कुछ फायदा नहीं हुआ, ये भी उससे बहुत शर्माता था , कई बार इसे हिम्मत ही नहीं हुआ बात करने का।
हो सकता है इसमें मेरा भी कुछ फाइडा था, इन दोनों के बहाना मेरी भी कुछ ख्वाइश पूरी होती थी। शायद मैं जानता था कि वो इसे नहीं मानेगी, पर इसका प्यार , इसका उसके लिए एहसास देख कर मैं ये दोनों को मिलवाने का सोचा।
पूजा की छुट्टियों के दौरान मैं इस लड़की से फेसबुक पर बात किया, पहले खुद दोस्ती किया और बाद में मैंने नैतिक के बारे में भी बताना सुरु किया। प्यार की बातें सुन कर है वो साफ मना कर दी और बोली मैं कॉलेज में ये सब नहीं करने वाली। वो बोली नैतिक को बोलो दोस्त बनकर रहना है तो हम बात करेंगे। ये सब बातें मैंने नैतिक को बताई और उसे समझाया, क्योंकि मैं खुद प्यार के खिलाफ ही रहता था। वो दोस्ती के लिए आसानी से मान गया। मन में ये आशा लिए की कम से कम दोस्ती ही सही कुछ वक़्त तो उसके साथ बिता पाऊंगा। और इस प्रकार हम सब समय बिताने लगे, वो लड़की अपने एक फ्रेंड के साथ घूमने आती थी। हम चार लोग काफी दिनों तक घूमे थे, हसीं मजाक बहुत किए। मुझे जब भी मौका मिलता मैं कोशिश करता की उन दोनों को अकेले में जायदा समय दूं। इन दौरान हम लोग बहुत मस्ती करते थे, अपने जिन्दगी के खुशनुमा पल जिया करते थे।
ऐसे ही कुछ फरवरी माह तक चला, और आप तो जानते है ये माह प्रेम करने वालो के लिए बहुत ही खास होता है। नैतिक का पागलपन भी बढ़ने लगा, वो तो इसे दोस्त ही मानती थी पर ये अपने दिल में आज तक इसे रखा था। दिन भर उसकी बातें , उसके ख़यालो में खोया रहता था। उस लड़की को तो कुछ नहीं बोल पाता था और मेरे सामने अपना दुखड़ा गाता था। इसके इसी सब हरकतों से मै सोच में पड़ गया, कहीं ये इसके लिए पागल ना हो जाय। मैंने सोचा ये अपना बात नहीं बता कर ही ऐसा हो रहा है, एक बार अपना दिल का बात उसको बोल देगा तो सब कुछ ठीक हो जाएगा। वो मना भी करेगी तो कम से कम उसका ख़्वाब तो नहीं देखेगा, उसे पाने का आशा तो नहीं रहेगा।
तभी मैं सोचा कि इसका पागलपन हटाना होगा, वेलेंटाइन डे भी सामने था, मैंने इसे अपने दिल की बात बोलने को बोला। सब कुछ सोच समजकर ये निर्णय लिया कि १३ को इजहार करेगा , अपनी सारी दिल की बात बताएगा और यदि वो मान गई तो वेलेंटाइन डे उसके साथ मनाएगा। जैसे-जैसे दिन नजदीक आ रहा था ये बहुत घबरा रहा था और साथ में मेरा भी दिमाग खा रहा था। हम लोग कुछ तौहफा देने का निर्णय लिए ,और आखिरकार इजहार करने का दिन आ गया।
इतने दिनों से इंतजार कर रहा था ये इस पल का फिर भी उसके पास जाने को कतरा रहा था, शायद उससे ना सुनने को घबरा रहा था। इसका ये बर्ताव देख कर और पिछले कुछ दिनों से इसे देख कर वो लड़की समझ गई कि ये इजहार करने वाला है, तभी मैं जबरदस्ती इसको उसके पास भेजा। उसके सामने जा कर भी ये कुछ नहीं बोल पाया और बस उसका बक बक सुनता गया। नैतिक के बोलने से पहले ही वो मना कर दी और अच्छे से समझा कर चल गई। उस समय इसे दुख तो हुआ पर ये दर्शाया नहीं और उसके सामने कुछ बोल भी नहीं पाया। अपना दिल का बात तो बोल नहीं पाया और तो और अपने प्यार को दर्शाने के लिए जो तोहफा बनवाया था उसे भी देना भूल गया। फिर वापस अगले दिन कॉलेज में मैंने इसको बोला देने, पर हिम्मत नहीं हुआ इसका और ये उसकी फ्रेंड को दे दिया। उसकी फ्रेंड उसे हॉस्टल में दिखाई उसे और वो तौफा देख वो लड़की का दिमाग खराब हो गया। वो लड़की सोचने लगी कि नैतिक को मना करने के बाद भी ये फिर से जबरदस्ती कर रहा है। दूसरे दिन उसे वापस करने को सोची तो नैतिक गया ही नहीं और मुझे देने लगी। मैं तो मना कर दिया फिर जाकर पता चला कि वो उसे कचरे के डिब्बे में फेंक के चली गई।
दरअसल वो तौहफा कोई मामूली नहीं था, उसमें उस लड़की के साथ नैतिक का फोटो बनवाया था और उसमें आई लव यू भी लिखवाया था। यह देख कर ही उसे गलत लगा। मैंने तो नैतिक को समझा दिया, इसे दोस्ती का टूटने का भी दुख सताने लगा। फिर कुछ दिनों बाद मैं उस लड़की से बात किया, उसको सब सच बताया की उसी दिन वो तौहफा देना चाहता था पर तुझसे बात कर के सब कुछ भूल गया और दे नहीं पाया। उसको ये भी बताया कि वो अगले दिन नहीं देना चाह रहा था, मैंने है उससे जबरदस्ती दिलवाया ताकि तुझे पता चल सके कि वो कितना तुझे चाहता है। पर तुम तो कुछ और ही समझ गई। बहुत समझाने के बाद सब ठीक हुआ। पर वो लड़की आज तक नैतिक से बात नहीं करती है, और मेरे दोस्त को तो इसके कुछ दिनों बाद ही कोई सच्चे प्यार करने वाली मिल गई। उसके जीवन में कई उतार चढ़ाव आया पर हमारी दोस्ती आज भी युहीं बरकरार है।

 

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